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11 Jan 2021 · 2 min read

मासूमियत

मासूमियत_____लघुकथा________✍️

शहर के बिचो- बीच मीना मेम का बंगला महल से कम नहीं था , गले , कान, नाक मे महंगे आभूषण इसका संकेत करते थे कि मीना मेम की जिंदगी काफी ठाठ- बाठ वाली थी , तो जाहिर है क्रोध उनकी नाक पर ही होता था , शायद यही कारण था कि कोई एक नौकर टिक कर नौकरी नहीं कर सका मीना मेम के यहां,
गर्मियों के दिन नंगे पांव चिलचिलाती धूप में बहार गुबारे बेचने वाला बच्चा आवाज लगा रहा था ,
आलीशान घर देख बच्चा मीना मेम के घर के पास रुक गया , बहुत आवाज लगाई , शायद बच्चे को अभिलाषा थी कि कुछ खरीदी यहां से जरूर होगी ,
काफी देर बाद तब गेट नहीं खुला तो बच्चे ने गेट पर लगी घंटी बजाई , फिर भी अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई , लेकिन बच्चे ने बजाना जारी रखा , आखिर बच्चे तो बच्चे होते है जिदी स्वभाव लाजमी है ,
बार – बार घंटी की आवाज सुन कर मीना मेम की नींद अब टूट चुकी थी , हड़बड़ाकर उठती हुई , बुदबुदाते हुवे गेट की तरफ गुसे से बढ़ी , और आव देखा ना ताव बच्चे को तमाचा जड़ दिया , बच्चे ने बड़ी मासूमियत से कहा “मेम आप मुझे मारो मत बल्कि आपको मै मुफ्त गूबारे दूंगा , मैने जितनी आपके दरवाजे की घंटी बजाई उसके बदले आप रख लो अंदर मुन्ना रो रहा उनको दे दो” बच्चे ने मीना मेम के हाथ में गूबारे थमाए और जाने लगा ,
मीना मेम स्तबध खड़ी उसको जाते हुवे ममतामई आंखो से निहारे जा रही थी ,
लेकिन अब बहुत साल की बहुत दोपहरी आई और चली गई लेकिन वो बच्चा दोबारा कभी वापिस नहीं दिखा ।।
मीना मेम आज भी तब भरी दोहपरी मे गेट पर बैल बजती है तो दौड़कर जाती है कि गूबारे वाला बच्चा आया होगा , लेकिन अब नाक पर क्रोध खो गया है , लेकिन गेट पर बच्चा ना मिलने पर रूवासे कदमों से अंदर चली आती है ,
मीना मेम को आज भी इंतजार है एक बार बच्चा फिर आए मेरे गेट की घंटी बजाय, अबकी बार मुस्करा कर जाऊ और उसको कान पकड़ के सॉरी बोलू , इसलिए अब वो दोपहरी को सोती नहीं , बल्कि गेट की तरफ एकटक निहारे जाती है, शायद अब मेम को समझ आ गया था कि क्रोध से कहीं ज्यादा महंगी मासूमियत है ।।
_____________ स्वरचित_____________
Sandeep gour Rajput _____
Mob-9485709170

Language: Hindi
1 Like · 10 Comments · 703 Views

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