माल्या
ए बाल्या
ओरे माल्या
केई खाल्या
शेष कहा जाल्या ,
जिसे जेल में रहनो थो वो
भाग्यो भाग्यो
फिर ऱी रियो है ,।
कसा दने का सरकार
वाह रे चौकीदार
कतरो करे भृष्टार्चार।।
वो भागे भेष में,
उन्धो पड़े विदेश में ।
वो नी हाथे आयो
कई कई ले जायो ।
आँखे बतायो
बैंक वारा डर्पायो ।
पहने वो नेता लाखो की वर्दी ,
देश के लिए जवानों ने
बिछादी अपनी ही अर्थी ।
जनता के खून की पसीने की कमाई
वो माल्यो विदेश में जेई ना उड़ाई ,
कहा गइ वणी की लुगाई ।
वहा रे जमींदार
वहा रे देश के चौकीदार
माल्यो उन्धो उन्धो भागे
तू कानी उने झांके ।
प्रवीण भी होचे
यो माल्यो कानी रोचे ।
✍✍पी एस ताल