#रुबाइयाँ
बने प्रेरणा बीता कल गर , आनेवाला अवसर हो।
हारी बाजी जीत गये तो , समय भाल पर उत्तर हो।।
छोड़ निराशा फिर कोशिश कर , गिरके चलना सब सीखेंं;
लगता मधुमास मनोहर तब , जब देखा रुत पतझर हो।।
लालायित मन दूर वस्तु से , पाकर क़ीमत घट जाए।
पर मानव बूरा भी मरकर , अच्छा ही था कहलाए।।
देख विषमता दोनों की ये , लगता मुझको ऐसा है;
सही समय पर क़ीमत सबकी , सबके मन को है भाए।।
तारीफ़ करो अच्छेपन की , जलन कभी मत चित लाओ।
जलन अग्न बन हृदय जलाए , तारीफ़ करो शुभ पाओ।।
निज मन हल्का हो जाएगा , पर मन सदा सुहाओगे;
शुभ करने से मंगल होगा , इस पथ पर बढ़ते जाओ।।
#आर.एस.’प्रीतम’