मालूम है मुझे तुम नहीं हो!
मालूम है मुझे तुम नहीं हो !
ना ख्याम्मी ख्यालों में ,
ना रुमानी रुमालो में ,
ना ज़ावेदी ज़हन में ,
ना इलमी चमन में ,
ना गुलजारिश गुजारिशो में ,
ना मलमली ख्वाईशो में ,
ना मजाजी मशवरो में ,
ना ख्वाबो के लशकरो में ,
ना इकबाली मजहबो में ,
ना पाक , कोरे ज़ज्बो में ,
ना मीरी नजरो में ,
ना बहकते बदरो में ,
ना गालीबी गालियारो में ,
ना शोख ऊजियारो में ,
ना फरहती फिजाओ में ,
ना बदतमीज़ हवाओ में ,
ना फैजी फिराक में ,
ना नाजुक शगाफ में ,
ना मजरुही ज़ख्मो में ,
ना दिल के नगमो में ,
ना साहिरि शराफतो में ,
ना चन्दनी खतो में ,
तुम नहीं हो , कहीं भी नहीं हो ,ये मालूम है मुझे !
लेकिन तुम क्यूँ नहीं हो ,
बस इतना बता दो मुझे ???????
सोनल निर्मल नमिता