मालूम नहीं था हमको…..!!
अपना ही मुक़द्दर मालूम नहीं था हमको!
टूटेगा मेरा घर भी मालूम नहीं था हमको!
बहुत शान से सफ़र ये तय कर रहे थे हम!
रास्ते के पत्थर का मालूम नही था हमको!
उसको गले लगा कर दोस्त बनाया हम ने!
बगल में था ख़ंज़र मालूम नहीं था हमको!
चक्रव्यूह में चल दिये अभिमन्यु की तरह!
वापसी का दर भी मालूम नहीं था हमको!
सामने से जाके शेर को ललकार तो दिया!
पहने हुए था खद्दर मालूम नहीं था हमको!
पेशा तो हमलिए बैठे थे मुस्कान बेचने का!
पास हैं ग़मे लश्कर मालूम नहीं था हमको!
#LafzDilSe By Anoop S.