मालूम नहीँ
मालूम नहीँ (धनुष वर्ण पिरामिड)
क्यों
दौड़
लगाते
लोग यहाँ
मालूम नहीँ
अनायास सब
पागल बनकर
अर्थ लोभ चक्कर
भाग रहे सब
मालूम नहीं
मिल जाये
जितना
कम
है।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
मालूम नहीँ (धनुष वर्ण पिरामिड)
क्यों
दौड़
लगाते
लोग यहाँ
मालूम नहीँ
अनायास सब
पागल बनकर
अर्थ लोभ चक्कर
भाग रहे सब
मालूम नहीं
मिल जाये
जितना
कम
है।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।