!! मालिक मेरे !!
!! मालिक मेरे !!
आ गया कैसा समय बेकार है मालिक मेरे,
हर तरफ चीत्कार-हाहाकार है मालिक मेरे।
सूनी गलियाँ सूनी सड़कें हर तरफ छाया अंधेरा,
अब खुशनुमा माहौल की दरकार है मालिक मेरे।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव
पालघर, महाराष्ट्र
!! मालिक मेरे !!
आ गया कैसा समय बेकार है मालिक मेरे,
हर तरफ चीत्कार-हाहाकार है मालिक मेरे।
सूनी गलियाँ सूनी सड़कें हर तरफ छाया अंधेरा,
अब खुशनुमा माहौल की दरकार है मालिक मेरे।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव
पालघर, महाराष्ट्र