मालिक की दया सहज बार बार देखी l
मालिक की दया सहज बार बार देखी l
बहुत खोया, फिर भी सहज बहार देखी ll
तेरा इश्क देखा, मेरी हार देखी l
इश्क सूरत भी, बडी बेकरार देखी ll
इश्क के अलावा, बहुत कुछ है जिंदगी l
इसीलिये, कुछ तय हुई, तकरार देखी ll
मालिक की दया सहज बार बार देखी l
बहुत खोया, फिर भी सहज बहार देखी ll
जब जब है सत्य मदद की पुकार देखी l
जिंदगी सहज सदा ही तैयार देखी ll
मेरी प्यास से, बहुतों की प्यास न रही l
फिर सब जिंदगीयां, बस मक्कार देखी ll
अरविंद व्यास “प्यास”