मालती सवैया
मत्तगयंद/मालती सवैया
देख तुझे मन हर्षित है तुम ज्ञान निधान सदा उर मेरे।
हो गुरु विप्र सदा भगवान लगावत ध्यान सदा तव फेरे।
नम्र स्वभाव भरे सबमें प्रभु आप सदा शिशु का मन प्रेरे।
हे गुरुदेव!सदा शुभ पंथ दिखावत एक तुम्हीं हिय घेरे।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।