मार-पीट से बच्चा
मार-पीट से बच्चों का, कोमल मन होता तार-तार।
मानसिक तौर पर कर देता है बच्चों को बीमार।।
मारने वालों के प्रति पैदा होता है घृणा विकट।
यह घृणा अलग- अलग रूप में होती प्रकट।।
पैदा होता कोमल मन में नकारात्मक मनोविकार।
नहीं पनप पाता मन में शुद्ध आचार -विचार।।
नाकारात्मक आदेश पैदा करता है कोतुहल।
बच्चा बन जाता है अनुशासन हीन उच्छृंखल।।
मार-पीट से बच्चा नहीं सीखता है अनुशासन।
मत करो बच्चों पर इतना हिटलर जैसा शासन।।
मार-पीट बनाता है दिल से बेहद ही कमजोर।
बच्चे हो जाते हैं तब बदतमीज और मुँहजोर।।
नहीं आ पाता है बच्चों में सद्भावना और संस्कार।
पनपती आत्महीनता,अपराधबोध कुत्सित विचार।।
बच्चा होता कायर, डरपोक ,अनिर्णय का शिकार।
खो देता मुखड़े की मासुमियत दिल होता बेजार। ।
धीरे-धीरे बच्चा खुद पर खो देता है विस्वास।
नहीं हो पाता उसके व्यक्तित्व का समुचित विकास।।
मार-पीट बच्चों में डालता बिलकुल उलटा असर।
पूरा जीवन करता है वह कुंठा ग्रस्त बसर।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली