मारुति मं बालम जी मनैं
(शेर)- देखो सगली दुनिया आज,जावै हैं देखण मेलों।
मारुति मं बालम मनैं भी, ले चालो दिखाणे मेलों।।
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मारुति मं बालम जी मनैं।
मेलों दिखावो तैं आज मनैं।।
शॉपिंग करा द्यो मेला मं मनैं।
चालो लेकर मेला मं मंनैं।।
मारुति मं बालम——————।।
राजपूतानी सूट मनैं दिलावो।
सैंडिल बाटा री मनैं दिलावो।।
चश्मा मं मारो फोटू खिंचावो।
चालो लेकर मेला मं मनैं।।
मारुति मं बालम——————-।।
चाल मेला मं, तनैं शॉपिंग कराऊँ।
बिठाऊँ चकरी मं, सिनेमा दिखाऊँ।।
चाट कचोरी तनैं, जमकर खिलाऊँ।
गौरी दिखाऊं आज, मेलो तनैं।।
मारुति मं आज लेकर तनैं।
गौरी दिखाऊँ आज, मेलो तनैं।।
मारुति मं बालम———————।।
ऊंट की सवारी, मेला मं करावो।
बादाम सेंक,जूस मनैं पिलावो।।
चूड़ी, कंगन तैं मनैं दिलावो।
चालो लेकर मेला मं मनैं।।
मारुति मं बालम——————–।।
कठपुतली रो खेल तनैं दिखाऊं।
पणिहारी नाच मूं तनैं दिखाऊं।।
जो तूं चावै वोही तनैं दिलाऊं।
गौरी दिखाऊं आज मेलो तनैं।।
मारुति मं आज लेकर तनैं।
गौरी दिखाऊं आज मेलो तनैं।।
मारुति मं बालम———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)