Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2023 · 1 min read

मारी – मारी फिर रही ,अब तक थी बेकार (कुंडलिया)

मारी – मारी फिर रही ,अब तक थी बेकार (कुंडलिया)
————————————————–
मारी – मारी फिर रही ,अब तक थी बेकार
दिन – भर लेते – छोड़ते ,साँसें कई हजार
साँसें कई हजार , नहीं कीमत पहचानी
जब साँसें दुश्वार ,अमोलक तब यह जानी
कहते रवि कविराय ,साँस की महिमा भारी
कभी न कहना बंधु , फिर रही मारी – मारी
——————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

469 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
Shekhar Chandra Mitra
अपने
अपने
Shyam Sundar Subramanian
‘ विरोधरस ‘---6. || विरोधरस के उद्दीपन विभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---6. || विरोधरस के उद्दीपन विभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
मुहब्बत इम्तिहाँ लेती है...
मुहब्बत इम्तिहाँ लेती है...
Sunil Suman
प्रकाश परब
प्रकाश परब
Acharya Rama Nand Mandal
एक फरिश्ता पहुंचा है भगवान के दरबार में
एक फरिश्ता पहुंचा है भगवान के दरबार में
Ram Krishan Rastogi
"उलाहना" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
बस देखने का नजरिया है,
बस देखने का नजरिया है,
Aarti sirsat
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अपनी शक्ति पहचानो
अपनी शक्ति पहचानो
Sarla Mehta
आशा
आशा
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
समय आता है
समय आता है
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
लाचार द्रौपदी
लाचार द्रौपदी
आशा शैली
* नहीं पिघलते *
* नहीं पिघलते *
surenderpal vaidya
#विषय उलझन
#विषय उलझन
Rajesh Kumar Kaurav
मैं तुम्हें
मैं तुम्हें
हिमांशु Kulshrestha
सुन्दर प्रियतमा के साथ
सुन्दर प्रियतमा के साथ
अमित कुमार
यादों में ज़िंदगी को
यादों में ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
Under this naked sky, I wish to hold you in my arms tight.
Under this naked sky, I wish to hold you in my arms tight.
Manisha Manjari
- तेरे लिए -
- तेरे लिए -
bharat gehlot
प्रदर्शनकारी पराए हों तो लाठियों की। सर्दी में गर्मी का अहसा
प्रदर्शनकारी पराए हों तो लाठियों की। सर्दी में गर्मी का अहसा
*प्रणय*
मोहब्बत
मोहब्बत
पूर्वार्थ
चाहे लाख महरूमियां हो मुझमे,
चाहे लाख महरूमियां हो मुझमे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कह्र ....
कह्र ....
sushil sarna
11) “कोरोना एक सबक़”
11) “कोरोना एक सबक़”
Sapna Arora
मुकाम
मुकाम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दीनानाथ दिनेश जी से संपर्क
दीनानाथ दिनेश जी से संपर्क
Ravi Prakash
मेरी अम्मा
मेरी अम्मा
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
एक दिन की बात बड़ी
एक दिन की बात बड़ी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...