मारवाड़ी हास्यरस
दृश्य १
परसा, किसी के बेटे के तिलकोत्सव से नंगे पांव भुनभुनाते हुए तेजी से घर की ओर लौट रहा था।
रास्ते में एक घर के बरामदे में दो लोग नज़र आये, एक उम्रदराज़ थे और दूसरा परसे की उम्र का होगा।
उसको तेजी से जाता देख, बूढ़े व्यक्ति ने पूछा,
” अरे परसा, उभाणा पांव कठ चाल्यो, सब ठीक ह तो”
(अरे परसा, नंगे पांव कहाँ चले ,सब ठीक है तो)
भरा बैठा परसा बोल पड़ा,
” के बताऊं ताऊजी, फलाना क छोरा न रोण गयो थो”
(क्या बताऊँ ताऊजी, फलाने के लड़के(जिसका तिलकोत्सव था)
को रोने गया था)
“साला, दस रीपिया को तो नास्तो करायो और पचास की नई चप्पल खोसली”
(सालों ने दस रुपये के नाश्ते के एवज में मेरी पचास रुपये की चप्पल गायब कर दी)
बूढ़ा व्यक्ति, जिसको न्योता नहीं मिला था, अब हिसाब बराबर करते हुए बोला,
“तो बो तन आपका घर स नास्तो करातो दिख्यो के, घणी बानरी सेना भेली कर क राखी ह, बान बोल क ही तेरी चप्पल दाब ली होसी”
( वो तुमको अपने घर से नाश्ता कराता दिखा क्या, उसके घर में तो बंदरो(छोटे बच्चों) की सेना भरी पड़ी है, किसी को बोल कर तुम्हारी चप्पल दबा ली होगी)
परसे के जाते, ही अब नौजवान की बारी थी,
“यो थान, पचास की चप्पल ख़रीदतो दिख्यो के, इको डोल देख कर लाग ह के”
(इसकी शक्ल देख कर लगता है क्या कि ये पचास की चप्पल खरीदेगा)
दृश्य २
किसी के मरने पर घर पर आयोजित बैठक में दो वृद्ध व्यक्ति पहुंचे।
उसके बेटे को देखकर कहा, तेरा बाप नारायण बहुत ही भला आदमी था, एक दम पुण्यात्मा था, सीधा स्वर्ग ही जायेगा।
बहुत देर तक इधर उधर की बातें हुईं, हुक्के पानी की व्यवस्था न देख, उनमें से एक से रहा नहीं गया,
” छोरा, कोई बीड़ी, हुक्का, चा पाणी की व्यवस्था ह के?, तेरो बाप तो मरग्यो, इब म्हान भी मारसी के?
(लड़के, चाय, पानी, बीड़ी, हुक्के की कोई व्यवस्था भी की है क्या, तेरा बाप तो चला गया, अब हमें भी मरोगे क्या?)
लड़के ने झेंपते हुए कहा, ताऊजी अभी मंगाता हूँ!!!