” मायूस हुआ गुदड़ “
गुदड़ ने की थी बात मेरे से
मायूस होकर मुझसे बोला
याद आ रहा पुराना ज़माना
नए जमाने ने तो विष घोला,
बताने लगा अपनी बातें मुझे
मैंने भी तो मूंह नहीं खोला
आंसू आए उसका दर्द देखकर
फिर सोचा बेचारा सही तो बोला,
दुखी मन से बताऊं अपना दर्द
मीनू पूनिया तूं सुन तो रही है ना
कद्र नहीं है आज मेरी जरा भी
हंस लूं चाहे, शुरू करूं रोना,
गद्दों ने आकर खत्म किया मुझे
भाए सबको मखमली बिछौना
साथी मेरी खाट लुप्त हो गई हैं
बैड पर चाहते हैं सभी सोना,
हाथ जोड़ करूं विनती सुनले
तूं तो मुझको कभी मत खोना
पौरोणिक कथाओं में सिमट गया
अब काहे आस के बीज बोना।
Dr.Meenu Poonia