मायूसियों का दौर
चारों तरफ़
वही प्यास है!
चारों तरफ़
वही भूख है!!
चारों तरफ़
वही दर्द है!
चारों तरफ़
वही दुःख है!!
आदमी जाए तो
अब जाए किधर!
कहीं कोई उम्मीद
नहीं आए नज़र!!
चारों तरफ़
वही मार है!
चारों तरफ़
वही लूट है!!
Shekhar Chandra Mitra