माया प्रभु की
🦚
ठंड बहुत है कह कर हम तो, ओढ़ रजाई सो जाते ।
ऐसे भी हैं लोग यहाँ जो, रैन बिताते ठिठुराते ।।
निष्ठुर नाथ आपकी माया, कैसे दृश्य दिखाती है ।
कहीं परसती है मुस्कानें , आँसू कहीं बहाती है ।।
०
दयादृष्टि रखना भगवन ।
गंगाजल सा कर दो मन ।।
०
राधे…राधे…!
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***
🌳🦚🌳