माया के मधुपाश
माया के मधु पाश में, फंसते जो भी लोग।
तजकर जीवन लक्ष्य सत,करें गलत उपयोग।
करें गलत उपयोग,दर्प में फूले रहते।
लेकर खोखल नाव,झूठ की धारा बहते।
जीवन कर बेकार,बचाते केवल काया।
कहता कविवर ओम, पाश सी है यह माया।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम