*मायावी मारा गया, रावण प्रभु के हाथ (कुछ दोहे)*
मायावी मारा गया, रावण प्रभु के हाथ (कुछ दोहे)
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1
मायावी मारा गया, रावण प्रभु के हाथ
मिली पराजय सर्वदा, जो असत्य के साथ
2
माया रचता क्रूरतम, रचता भूत-पिशाच
रावण को प्रिय वस्तुऍं, वाम-मार्ग के नाच
3
काटी माया बाण से, रावण की हर एक
यद्यपि खल चलता रहा, माया-बुद्धि अनेक
4
रथ पर था रावण खड़ा,लड़ने भीषण युद्ध
राम खड़े पैदल दिखे, अंतः करण विशुद्ध
5
असली रथ सद्वृत्तियॉं, उज्ज्वल हृदय विचार
कहा राम ने सारथी, भजन ईश व्यवहार
6
मर-मर कर फिर जी उठा, रावण बारंबार
जुड़ी भुजाऍं सिर जुड़े, करने अत्याचार
7
रहता अमरित नाभि में, खोला भ्राता भेद
करो दशानन के प्रभो, नाभि बाण से छेद
8
तीस बाण से सिर-भुजा, नाभि बाण से एक
रावण यों मारा गया, करके यत्न विवेक
9
रोती है मंदोदरी, करती घोर विलाप
राम मनुज अवतार हैं, किंतु न समझे आप
10
साधारण नर से नहीं, मरता राक्षसराज
धन्य-धन्य प्रभु अवतरित, हुए लोकहित काज
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451