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19 Jan 2024 · 1 min read

मायड़ भौम रो सुख

मायड़ भौम थारो हेत, परदेश मांही रिजावै ह,
आज थारै आंचळ मांही आ’र, मनडो घणो सुख पावै ह।।
बालपणा री बातडळिया, दैख थनै याद आवै ह।
भायळा रै लारै साईकिल पर बैठ्या, गीत हिवडो गावै ह।
मायड़ री लौरया अठै ह, बाबोसा रो हैत अठै ह।
जीवण रै मांही चांदणी सा बित्या, पुरखा रा लगायोडा खेत अठै ह।।
थारै हैत अर दुलार री हौड, परदेस री चकाचौंध कांई करै ह,
सूरज नै दिवळौ दिखावै, यूं लाजा मरै ह।।
मायड़ धरती थारो मान म्है जांणू हूं, पण म्हारै मनडा री पीड़, किण रै सामी बखाणू हूं,
थारी याद मनडा मांही रैवे ह, पण परदेसा री चाकरी मनडो बिळमा देवे ह।।
आज मायड़ भौम थनै निवण करणै री बैळा ह,
शब्दां री जडी कौनी, मनडा रा भाव मौटा ह।
🙏🙂🙏🙂🙏🙂🙏
आपका अपना
लक्की सिंह चौहान
ठि.:- बनेड़ा (राजपुर)

Language: Rajasthani
183 Views
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