मायके का आराम
”बेटा रागिनी को अभी कुछ दिन और यहां रह लेने दो। थोड़ा आराम और कर लेगी। लड़की को तो मायके में ही आराम मिल पाता है। वहां जाकर तो फिर काम में जुट ही जाना है। वैसे भी तुम्हारी भाभी जिम्मेदारी के साथ सारा घर संभाल ही लेती हैं।“ सास ने बड़ी मनुहार के साथ दामाद से कहा।
उनकी बात का दामाद जवाब दे भी नहीं पाया था कि फोन की घंटी बज उठी। बहूरानी के मायके से फोन आया था। समधन बोल रही थी कि अभी हम अपनी बेटी को महीना भर और रोकना चाहते हैं। उसकी तबीयत कुछ अनबन है। डॉक्टर ने आराम बोला है। दामाद को सबसे कुछ कहने की गुंजाइश नहीं रह गई थी। समधन की एक फोन ने सारे सवालों के जवाब हाजिर कर दिए थे।