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21 Jul 2022 · 1 min read

“मायका और ससुराल”

जन्म हो लड़की का मायके में
ब्याह कर वह ससुराल चली जाए
बचपन से सुने तूं पराए घर की अमानत
ससुराल में मुश्किल से सामंजस्य बिठाए,
यहीं से होता शुरू अग्निपरीक्षा का दौर
जिसको बेटी खुशी-खुशी निभाए
सास बोले उसे तेरा घर मायका
पति तेरी मम्मी, तेरे पापा बुलाए,
मां बाप समझे बेटी सास ससुर को
देवर ननद को भाई बहन ज्यों मनाए
जेठ को समझे वह पिता समान
ससुराल को मायके से बढ़कर महकाए,
अल्हड़ बचपन गुजारा जहां उसने
वही आज पराया लगने लग जाए
आधी जिंदगी गुजारी जिसकी छांव में
आजमुंह पोंछे तब बटुए से रुमाल निकाले,
मेरा कमरा, मेरी चीजें चिल्लाती वो
भाई के साथ में खूब इठलाए
वही दीवारें लगी आज पराई
सुनसान आवाज कानों को कचोट जाए,
मां-बाप की बीमारी को भुलाकर
प्राथमिकता से ससुराल के कर्तव्य निभाए
बेटी का एहसान ना उतार सके कोई
मायका और ससुराल दो घर सजाए,
सारा संसार माने ससुराल को
रिती रिवाज सारे वहीं के अपनाए
पुरातन काल से महिमा गाएं सभी
काली, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती बेटी कहलाए।

Dr.Meenu Poonia

Language: Hindi
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