“” मामेकं शरणं व्रज “”
“” मामेकं शरणं व्रज “”
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( 1 )” चले “, चले
आओ, मेरी शरण में,
प्रिय भक्त , छोड़के चिंताएं सारी मुझपे !
क्यूँ नाहक होते हो यहाँ पर परेशां……,
बस, एकबार देखो विश्वास जताके मुझपे !!
( 2 ) ” आओ “, आओ
मेरी शरण तुम वत्स,
चलूँ दिखलाए धर्म-पथ यहाँ पे !
बनालो, तुम मुझे मात्र अपना एक सारथी …,
ले चलूँगा तुम्हें भव सागर से पार उतारते !!
( 3 ) ” मेरी “, मेरी
शरण तुम्हें तारेगी यहाँ,
और करती चलेगी सभी पापों से मुक्त !
क्यूँ कल की चिंता में जले जा रहे हो अभी.,
बस, छोड़के सब, तुम बन जाओ मेरे अनुरक्त !!
( 4 ) ” शरण “, शरण
चले आए जो भी ,
फिर उसके खुल जाएं हैं भाग्य सारे !
और कभी ना उसे फिर पछताना पड़े यहाँ पे…,
मोक्ष आनंद परमधाम का सुख मिल जाए !!
( 5 ) ” वत्स “, वत्स
शरणागत जो होए चले,
उनके सभी दुःखों को श्रीहरि अपना बनालें !
और मिटाके उनकी सारी व्यर्थ चिंता-व्यथाएं.,
शरण में लेकर, वैतरणी नदी पार करवा दें !!
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सुनीलानंद
सोमवार,
06 मई, 2024
जयपुर
राजस्थान |