Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Dec 2021 · 2 min read

मामी

नमन मंच
दिनाँक 392021
विधा रेखा चित्र

मामी
चक्की वाली

कभी कभी हमें जीवन के कटु सत्य से भी गुजरना पड़ता है। यूँ भी यह जीवन जीना हर व्यक्ति के लिए सुलभ नहीं होता। चक्की वाली मामी बहुत ही सुंदर व सुशील व्यक्तित्व वाली महिला थीं। उस घर मे केवल 4 बेटे थे परन्तु तीन की बहुत अधिक उम्र हो गई थी शादी नही हुई। नानी बहुत अच्छी थीं लेकिन उनका भी अब बुढापा आ गया था।जैसे तैसे सबसे छोटे लड़के की शादी हुई और मामी का आगमन पूरे घर के लिए तारे तोड़ने जैसा आभास करा गया।
मामी क्या थीं चाँद का टुकड़ा थीं। गोरा रँग , गोल चेहरा ,बड़ी बड़ी आँखें , पतले होंठ,चौड़ा माथा,उसपर बड़ी सी मैरून रँग की बिंदी। काले घने लंबे बाल।हाथों में भर भर के पहनीं हुई चूड़ियाँ, हाथों में नेल पेंट , पैरों में हमेशा महावर लगा रहता था।कुल मिला कर उनका पूरा व्यक्तित्व लुभावना था। हम दोनों बहिन वहीं रहती।कहना भी वहीं खा लेतीं थीं।इन सबसे बढ़िया थे उनके काम जो बहुत ही बढ़िया लगते थे। घर की सजावट की सभी वस्तुएं वह बढ़े शौक से बनातीं थीं व गली की सभी लड़कियों को सिखाती भी थीं। हम लग बी उनके इन कार्यो को बहुत ध्यान से देखतीं थीं व सीखती थीं। बोतलों मे रँग बिरंगी बॉल घुसना, तार के फूल बनाना , साइकिल की बेकार ट्यूब को इक्वल साइज का काटकर उससे हाथी, पिल्ले,ऊँट इत्यादि बनाना। महीन प्लास्टिक के तारों से पर्स,बैग बड़े बड़े थैले बनाना,पूरी सिलाई करना। बैठने के आसन बनाना।पूरे दिन व्यस्त रहना। मैन भी हर चीज को बड़े ध्यान से सीखा।मामी सबकी सखी थीं। सभी तरह की बाते लड़कियां उनसे कर लेतीं थीं
छुट्टियों में जब ननिहाल जाना हुआ तो मुझे उनको देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सुबह के 4 घण्टे वहीं बीतते। कुछ दिनों बाद अधिकतर लड़कियों की शादियाँ हो गई। ममी की भी तीन लड़कियों की शादी हो गई। एक रह गई।अब साल में कभी उनके पास जाना होता धीरे धीरे समय बीता अब जिंदगी बहुत कुछ बदल गई थी। एक दिन मैंने मामी को फोन किया कि मैं गांव रही हूँ आप मुझसे मिलो आपसे मिलने व देखने की बहुत इच्छा है। वह उस समय लखनऊ थीं। वह मुझसे मिलने आई भी ।परन्तु बहुत दुखी और उदास थीं। मेरे पूंछने पर उन्होंने बताया कि उनको लिवर कैंसर हुआ है। मैं भी दुखी हुई
उसके 6 माह बाद वे भगवान को प्यारी हो गईं।आज भी मुझे उनकी बहुत याद आती है।

प्रवीणा त्रिवेदी प्रज्ञा
नई दिल्ली 74

Language: Hindi
468 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हर रात मेरे साथ ये सिलसिला हो जाता है
हर रात मेरे साथ ये सिलसिला हो जाता है
Madhuyanka Raj
नहीं किसी का भक्त हूँ भाई
नहीं किसी का भक्त हूँ भाई
AJAY AMITABH SUMAN
पल में सब  कुछ खो गया
पल में सब कुछ खो गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आपसी की दूरियों से गम के पल आ जाएंगे।
आपसी की दूरियों से गम के पल आ जाएंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Neeraj Mishra " नीर "
*स्वस्थ देह का हमें सदा दो, हे प्रभु जी वरदान (गीत )*
*स्वस्थ देह का हमें सदा दो, हे प्रभु जी वरदान (गीत )*
Ravi Prakash
अब नहीं पाना तुम्हें
अब नहीं पाना तुम्हें
Saraswati Bajpai
लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।
लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कहाँ मिलेगी जिंदगी  ,
कहाँ मिलेगी जिंदगी ,
sushil sarna
हाइपरटेंशन(ज़िंदगी चवन्नी)
हाइपरटेंशन(ज़िंदगी चवन्नी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
फ़ासला गर
फ़ासला गर
Dr fauzia Naseem shad
हमने एक बात सीखी है...... कि साहित्य को समान्य लोगों के बीच
हमने एक बात सीखी है...... कि साहित्य को समान्य लोगों के बीच
DrLakshman Jha Parimal
लोगों के रिश्तों में अक्सर
लोगों के रिश्तों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता है
Jogendar singh
चिड़िया
चिड़िया
Kanchan Khanna
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
Rj Anand Prajapati
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
Phool gufran
" उज़्र " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
खुद से जंग जीतना है ।
खुद से जंग जीतना है ।
Ashwini sharma
#गणपति_बप्पा_मोरया
#गणपति_बप्पा_मोरया
*प्रणय प्रभात*
तस्सुवर की दुनिया
तस्सुवर की दुनिया
Surinder blackpen
सारी उमर तराशा,पाला,पोसा जिसको..
सारी उमर तराशा,पाला,पोसा जिसको..
Shweta Soni
एकतरफ़ा इश्क
एकतरफ़ा इश्क
Dipak Kumar "Girja"
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
* ऋतुराज *
* ऋतुराज *
surenderpal vaidya
पितृ हमारे अदृश्य शुभचिंतक..
पितृ हमारे अदृश्य शुभचिंतक..
Harminder Kaur
शादी वो पिंजरा है जहा पंख कतरने की जरूरत नहीं होती
शादी वो पिंजरा है जहा पंख कतरने की जरूरत नहीं होती
Mohan Bamniya
Remembering that winter Night
Remembering that winter Night
Bidyadhar Mantry
"सच का टुकड़ा"
Dr. Kishan tandon kranti
ENDLESS THEME
ENDLESS THEME
Satees Gond
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Loading...