माफी मांगने से कोई छोटा नहीं होता…
गर खता हो जाए तो ,
माफी मांग लीजिए ।
अपने और दोस्त के ,
दिल को साफ कीजिए ।
मगर जहां गुरुर हो बेइंतहा ,
वहां माफी मांगे कौन ?
उंगली उठाए एक दूजे पर ,
अपने अपने दिल को साफ करे कौन ,?
माफी मांगने से कोई छोटा नही होता ,
होती है यह बड़प्पन की निशानी ।
दोस्ती गर जान से प्यारी हो ,
तो इसके खातिर देनी पड़ती है कुर्बानी ।
मगर इस बदलते जमाने में ,
इसकी अहमियत ही बची नहीं।
गुरुर ही सबसे अहम है आजकल ,
दिल में नरमी किसी के बची ही नहीं।
इसीलिए आजकल दरारें हैं ,
सभी इंसानी रिश्तों के दरम्यान ।
इंसानियत और मोहब्बत के ,
इस ज़माने में घुट के रह गए अरमान।
इस पर भी बड़े अफसोस की ,
है यह हैरान कर देने वाली बात ।
लोगों को न कोई गम है ,
ना शर्म लिहाज ,ना कोई जज़्बात ।
टूटे और मरे हुए रिश्तों का ,
जनाजा उठाए फिरते है सभी ।
मगर गुरुर को मिटाकर रिश्तों को,
नई जिंदगी देना नहीं चाहते सभी ।
लोग क्यों जानते की गुरुर को मिटाकर ,
माफी मांगने से दिल हल्का हो जाता है ।
सब गीले शिकवे मिट जाने से ,
जिंदगी में कितना सुकून आ जाता है ।
और यह भी सोचो की दुनिया से ,
एक ना एक दिन तो जाना होगा ।
क्या रूह पर गुरुर का बोझ लेकर मरोगे ?
खुदा से सामना तुम्हारा कैसे होगा ?
इसीलिए बहुत जरूरी है ,
गुरुर को जिंदगी से निकलना ।
गर खता हो जाए तो माफी मांग लेना,
और दूसरों से गलती हो तो माफ कर देना ।