माफिया
जैसा कातिल है वैसी ही मौत की सजा।
दरिंदे चीखपुकार रहे है, लोग ले रहे मजा।
थे सरेआम लूटते घसीटते निचोड़ते समाज को।
पापी, राजा बने हुए थे, वो तड़प रहे है राज को।।
यही तो रामराज्य है, यही तो विधि विधान है।
क्रूर माफिया चिल्ला रहे खतरे में संविधान है।।
जनता दिल से चाह रही,माफियाराज का अंत।
हर प्रदेश का सीएम “संजय” केवल बने महंत।।
जय हिंद