माफ़ी नहीं होती
कुछ गलतियों की माफ़ी नहीं होती।
जितनी सज़ा दो, काफ़ी नहीं होती।
वहीं गलती फिर लोग करते हैं जरूर,
उस पर ऊपर से बड़ा रखते हैं गुरूर।
कोशिश रहती है अपनी ग़लती पर्दे में रहे
उस पर सितम कोई उस बारे में न कहे ।
अपनी ग़लती पर , हमें मिले क्यों सज़ा
दूसरे की ग़लती,उस के लिए सिर्फ कज़ा।
सुरिंदर कौर