मापदंड
📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कुछ व्यक्ति अपने व्यापार की खामियों को जानते बूझते भी अपने पद के अहम में -अपने पुश्तैनी व्यापार के अहम में हमेशा सामने वाले को ही गलत साबित करना चाहते हैं ,सामने वाले को खेल का बड़ा मैदान देते हैं खेलने के लिए पर उसे कई तरह की बेड़ियों में जकड देते हैं ,वो स्वयं अपने ही अनुभवों को सही मानते हैं ,खुद अपने भय से मुक्त होना नहीं चाहते और निशाना सामने वाले को बनाते हैं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कुछ व्यक्ति आज भी पुराने तरीकों से ही अपने व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं ,हाँ उनमें एक खूबी होती है की वो सामने वाले को अच्छी तरह सुनते हैं ,कुछ हद तक समर्थन भी देते हैं पर फिर अपने अहम या पुराने भयों के चलते सब कुछ सामने वाले पर थोपना चाहते हैं ….वो अपने ही विचारों को अपने अनुभवों को ही सही मानते हैं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जब कोई व्यक्ति किन्हीं कारणों से कोई समझौता करता है तो सामने वाला अमूमन उसे कमजोर -अनुभवहीन समझने लगता है और सामने वाले के पूर्ण समर्पित ईमानदारी से कार्य करने पर भी सामने वाला अपने अहम में उसे कई बार शब्दों के जाल फेंक कर उसे कह देता है की आप मेरी तरफ से मुक्त हो ,पर सामने वाला ये नहीं समझता की वो किन जज्बातों के साथ खेल गया है ,लेकिन शायद यही दुनिया और दुनियादारी है जहाँ केवल लाभ हानि का मापदंड देखा जाता है …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की जब घर रंगे जाएं
तो “दिपावली”ओर जब घर वाले रंगे जाएं तो “होली”…जब घर में दिपक जलाए जाएं तो “दिपावली”और जब बाहर चौक में अग्नि जलाएं तो “होली”…एक में अग्नि ( प्रकाश ) है एक में जल है…
“दिपावली” भगवान का त्यौहार हैं तो “होली” भक्त का त्यौहार है…जब बाहर रोशनी हो ‘ तो “दिपावली”ओर जब अन्तर्मन में रोशनी हो तो “होली”.. !
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
🙏सुप्रभात 🌹
स्वरचित एवं स्वमौलिक
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱