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28 May 2023 · 1 min read

”मान जाया करो”

कविता-22
हर रोज़ रूठो मगर जल्दी मान जया करो ,
ये हक है तुम्हारा ना सकुचाया करो ।

मैं सिर्फ तुम्हारा हूँ मुझपे भरोसा करो ,
चलो मेरे साथ, ज़िद छोड़ो ,मान जाया करो ।

यूँ तो गुस्से में तुम अच्छी नहीं लगती हो ,
इसलिए गुस्से में भी मुस्कुराया करो ।

मैं मनाता रहूँगा यूँ ही , तुम रूठा करो ,
मगर जल्दी मान जाया करो।

मेरे दिल में बसी मेरी चाहत हो ,
मेरी हर उमंग हो इसलिए खुश रहा करो ।

हर रोज़ रूठो मगर जल्दी मान जया करो ,
ये हक है तुम्हारा ना सकुचाया करो ।

1 Like · 377 Views
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