मान जाओ
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दिल सच्चा है तो सच्चे दिखोगे
यूँ ही हरदम…….
बच्चों जैसे अच्छे दिखोगे
न द्वेश न कहीं कपट, न घृणा न कहीं भेदभाव
बच्चों जैसा संपूर्ण स्वभाव
क्या रखा है राम रहीम में
खुश नहीं जब एक ही जमीं में त्याग दो तुम ये राग
त्याग दो तुम ये क्लेश….
फर्क क्यों है दिखता बीच हमारे
हम ही आखिर इसके करता- धरता
बनाने में उकसाने में
भला कौन नहीं चाहता सुख चैन. .
खुद के दुश्मन मत बनो
अभी वक्त है संभलने का जैसे हो वैसे ही रहो
अच्छे दिखते हो सच्चे दिखते हो
मन की करुणाई में झांको जरा
जो कहता है उसे मानो ज़रा
दिल सच्चा है तो सच्चे दिखोगे
यूँ ही हरदम …..