मान्यताओं के पीछे अंध-आस्था और निवारण
अनेकता में एकता का यह देश अपनी पहचान को जिंदा रखने के लिए समय समय पर पुरातन के सथ साथ नये बंधन बनाते रहता है.
जिन्हें लोगों पर आस्था के रुप में थोप दिया जाता है.
तर्क वितर्क वैज्ञानिक सोच ही इसका समाधान है
प्रचलित मान्यताओं को आस्था को कारण बताकर ढक दिया जाता है.
वैदिक साहित्य इसका जनक है.
अमावस्या/पूर्णिमा तिथि और वार एक खगोलीय घटना को व्यवाहारिक बनाने का एक माध्यम है.
आप समझ गये होंगे अमावस्या पूजन.
चंद्रग्रहण/सूर्यग्रहण से जुडे विषय.
अठारह संस्कार से मन में डर,खौफ,प्रकोप आदि को माध्यम बनाकर.
मनोबल गिराने वाली मान्यता.
मनोविकार पैदा करके मनोबल तोड़ती है.
मन के अध्ययन से आदमी वंचित रह जाता है.
रह गये वे ही गंवार के गंवार.