मानिंद ख्वाब परिंदों का उड़ाया जा रहा है
मानिंद ख्वाब परिंदों का उड़ाया जा रहा है
जो हैं ही नहीं उसे अपना बनाया जा रहा है
खुद ब खुद पता बता रहा हैं घर जो बेचारा
लेकिन उसे भी कहीं और बसाया जा रहा है
हिम्मत जिसे न हुई उठ पाने की इस जहां में
उसे हौसलों के बदौलत दौड़ाया जा रहा है
इश्क़ के दौर में गुजार दी हो जिसने जिंदगी
मुहब्बत के फायदे उसे भी बताया जा रहा है
ख़ुद कमा न सका मन माफ़िक शोहरत को
उसको प्रसिद्धि बता कर लुटाया जा रहा हैं
✍️रवि कुमार सैनी ‘यावि’