माना तुम्हारे मुक़ाबिल नहीं मैं।
माना तुम्हारे मुक़ाबिल नहीं मैं।
पर इतनी भी नाक़ाबिल नहीं मैं।
मुझको निरंतर चलते ही जाना,
दरिया हूँ बहता, साहिल नहीं मैं।
सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
माना तुम्हारे मुक़ाबिल नहीं मैं।
पर इतनी भी नाक़ाबिल नहीं मैं।
मुझको निरंतर चलते ही जाना,
दरिया हूँ बहता, साहिल नहीं मैं।
सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद