माना डगर कठिन है माना बहुत है मुश्किल
माना डगर कठिन है माना बहुत है मुश्किल
लेकिन अगर यक़ी हो मिलती है यार मंज़िल
है इम्तिहान कोई ये ज़िंदगी हमारी
हर सम्त पर खड़ा है मौक़ा-शनास क़ातिल
इस बात पर मुझे तो सौ फ़ीसदी भरोसा
है झूठ वो समंदर जिसका नहीं है साहिल
है ये जहान मक़तल कमज़ोर मत बनो तुम
सबको तलाश रहती मिल जाए कोई बिस्मिल
‘क़ैस’ इक दफ़ा है मरता इंसान जो निडर है
पर रोज़ वो मरेगा इंसान जो है बुज़दिल
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’