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22 Feb 2024 · 1 min read

माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,

माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
भूमिकाएं बदलेंगी,नायक-नायिका बदलेंगे,
पर..कथानक का मूल भाव तो नहीं बदलेगा।

कहानियाँ पुनः सृजित होती रहेंगी,
कोई तो उस अधित्यका पर बैठ
करेगा इनका संचालन।

हम ना होंगे तो हमारा पुनरागत होगा, किसी और भूमिका में.!

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