माना कि हम साथ नहीं
माना कि हम साथ नहीं।
लेकिन ऐसी भी बात नहीं।
बाकी हैं अभी भी कुछ मरहले
टूटे दिल के कुछ सिलसिले।
रहने लगीं हूं मगर ख़ामोश
ढूंढ़ूं कैसे तुम्हें,? नहीं है होश।
क्यूं हम बिछड़े थे याद नहीं,
मन पहले जैसा आबाद नहीं।
क्यों दिल करना चाहता है बात
माना कि हम नहीं है साथ।
सुरिंदर कौर