माना कि,तुम खूबसूरत हो और जवान हो –आर के रस्तोगी
माना कि,लोगो की नजरो अभी तुम नादान हो
पर अपनी संस्कृति और कला की पहचान हो
डुबोया है तुमने सबको सरल साहित्य सागर में
हम तो चुल्लू भर कर लाये है अपनी गागर में
माना कि,तुम खूबसूरत हो और जवान हो
अलग से रखती हो अपनी बड़ी पहचान हो
पर हम भी तुमसे खूबसूरती में कम नहीं
जरा आइना तो देखो उसमे कोई दम नहीं
माना कि तुम अक्ल से गजल लिख देती हो
अपने ही गीतों को गाकर सबको सुना देती हो
पर हम भी दोहे,छंद और कुंडलियाँ लिख देते है
हाथ की हाथ बनाकर उनको मंच पे सुना देते है
माना कि साहित्य में तुम नई नवेली हो
काव्य मंच पर दुल्हन की तरह अकेली हो
पर इस मंच पर आकर्षण का केन्द्र तुम बनी हो
ऐसा लगता है श्रोताओ की आँख तुम पर लगी हो
माना कि तुम कविता को लय से सुना सकती हो
और श्रोताओ से अपनी ताली बजवा सकती हो
पर हम भी किसी बात में तुम से जरा कम नहीं
हगांमा कर के तुम्हारी ताली पिटवाने में कम नही
आर के रस्तोगी