मानस
कुंडलिनी
मानस के हो बिंब तुम, कहाँ छुपाऊँ प्यार,
हृदय रखा है सामने, कर लेना स्वीकार।
कर लेना स्वीकार, बने मन मेरा पावस,
प्रेमांकुर के पुष्प, करें शुचि सुरभित मानस।
कुंडलिनी
मानस के हो बिंब तुम, कहाँ छुपाऊँ प्यार,
हृदय रखा है सामने, कर लेना स्वीकार।
कर लेना स्वीकार, बने मन मेरा पावस,
प्रेमांकुर के पुष्प, करें शुचि सुरभित मानस।