मानव है, यही अपनी पहचान
लगे सब कहने अपनी गौरव गाथा,
अपनी जाति महान सुनाते वंश कथा,
अपनी अपनी ढपली अपना अपना है राग,
कैसे फेल गया आज सारे वतन में यह रोग,
अपनो की लाठी अपनो के सर,
जल रहा देश उजड़ रहे अपने घर,
कभी जाति के लिए लड़ते,
कभी धर्म के लिए अड़ते,
सबकी रगों में बहता खून लाल,
सब है अपनी माता के प्यारे लाल,
क्यों बन रहे एक दूजे के काल,
याद करो अपनी संस्कृति का काल,
सरहद पर दुश्मन बुन रहा जाल,
तुम अंदर से कर रहे देश को कंगाल,
शान्ति की जला लो मशाल,
देख शत्रु भी देने लगे मिशाल,
मानव है यही अपनी पहचान,
अपनी माटी अपना देश महान,
।।।जेपीएल।।