मानव धर्म( मासिक पत्रिका) नवनिर्माण विशेषांक ,वर्ष 8, अंक 1 ,मार्च 1949
मानव धर्म( मासिक पत्रिका) नवनिर्माण विशेषांक ,वर्ष 8, अंक 1 ,मार्च 1949
समीक्षकः रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999761 5451
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” मानव धर्म “का दशकों पुराना “नवनिर्माण ” विशेषांक मेरे हाथ में है । इस पर वर्ष 8 ,अंक 1 ,मार्च 1949 अंकित है । यह मानव धर्म कार्यालय दिल्ली से प्रकाशित है तथा जमना प्रिंटिंग वर्क्स दिल्ली में छपा है । पंडित दीनानाथ भार्गव दिनेश मानव धर्म के यशस्वी संपादक हैं । दिनेश जी के साथ इस विशेषांक में संपादक के रूप में पंडित तिलकधर शर्मा का नाम भी छपा है ।
266 प्रष्ठ का यह विशेषांक अपने आप में एक मोटी किताब है। इसमें प्रष्ठ 73 से प्रष्ठ 160 तक श्री दीनानाथ भार्गव दिनेश जी द्वारा लिखे गए लेख हैं। अर्थात 87 पृष्ठों का अकेले दिनेश जी का योगदान है । श्री विष्णु प्रभाकर के दो रुपक भी इस नवनिर्माण विशेषांक में सम्मिलित हैं। लेखकों की लंबी श्रंखला है। बड़े नाम हैं ःसर्व श्री काका कालेलकर, देवेंद्र सत्यार्थी ,ग.वा. मावलंकर,पंडित रामचंद्र तिवारी,विष्णु प्रभाकर, सेठ गोविंद दास,गोपीनाथ जी अमन आदि। यह मानव धर्म पत्रिका के लगभग नियमित लेखक रहे हैं । विष्णु प्रभाकर पायः सभी विशेषांकों में मानव धर्म पत्रिका को अपना लेखकीय योगदान देते रहे हैं।
सेठ गोविंद दास ने अपने लेख में लिखा है ः-” हिंदी में जो विदेशी भाषाओं के शब्द आ गए हैं ,उन्हें निकालने के मैं पक्ष में नहीं हूँ । न मैं इस मत का ही हूँ कि आगे के लिए भिन्न-भिन्न भाषाओं से हम शब्द ग्रहण न करें ।परंतु …भाषा का नाम हिंदुस्तानी होते ही इस बात का प्रयत्न किया जाएगा कि उसमें जबरदस्ती अरबी और फारसी के शब्द ठूँसे जाएँ ।”(पृष्ठ 205- 206 ) कहने की आवश्यकता नहीं कि सेठ गोविंद दास के विचार 70 वर्ष के बाद भी आज कम प्रासंगिक नहीं है।
उस जमाने में जब रंगीन चित्र कागज पर छापना लगभग असंभव होता था, दिनेश जी ने चार रंगीन चित्र चिकने कागज पर बहुत सुंदर रीति से छापे हैं। यह बताता है कि पत्रिका का प्रकाशन उनके लिए हानि और लाभ का प्रश्न नहीं था । अपनी ओर से पाठकों को सर्वोत्तम सौंपना ही उनका ध्येय रहता था।
पद्यानुवाद दिनेश जी न केवल शौक था अपितु इसमें उन्हें महारत हासिल थी। विशेषांक के प्रष्ठ (1) पर अथर्ववेद के संस्कृत मंत्र के साथ हिंदी में पद्य रचना दिनेश जी के द्वारा लिखी हुई प्रकाशित हुई है। इसके एक- एक शब्द में मन को होने वाली सुखानुभूति प्रगट हो रही है ।
चित्र के नीचे दिनेश जी ने लिखा है –
“राष्ट्र को कर दो ज्योतिर्मय’
मानव धर्म पत्रिका मासिक रुप से अगस्त 1941 से 28 वर्ष तक प्रकाशित होती रही । इसके सभी विशेषांक बेजोड़ होते थे । जिन लोगों ने हिंदी में मासिक पत्रिका प्रकाशित की और उसको तन मन धन से लगातार प्रवाहमान किया, उनमें मानव धर्म मासिक पत्रिका और पंडित दीनानाथ भार्गव दिनेश जी का नाम सदैव आदर के साथ लिया जाता रहेगा।