मानव गलतियां और पश्चाताप
करे गलती जब मानव जात,
और भुगते तब सारा संसार ।
हम सब है इसके भागीदार,
जग में मच रही जो हा हा कार ।।
ले निर्णय जब भारत सरकार,
लॉकडाउन लगाकर के उपचार ।
पुलिस , डॉक्टर और सेवा कर्मी ,
कर रहे है , कोरोना पर वार ।।
समझ जाओ अब तो तुम यार ,
ना करो तुम अब प्रकृति पर वार ।
ना जमाओ तुम हक इस धरती पर,
क्योंकि हम सब है किराये दार ।
बात मान भी जाओ तुम सब,
निकालो न तुम घर से अब ।
बाहर है मौत की कातिल हवा,
जिसपर ना भारी कोई दवा ।।
मेरी तुमसे विनती बारंबार ,
घर में ही टहरो मेरे यार ।