मानव को मानव समझे
सम्प्रत्यय लोक-कुशलता का, जो हरदम स्वीकार करे,
मानव को मानव समझे, हर प्राणी का उद्धार करे।
विज्ञान, मानवता, आध्यात्म, सदा समन्वित हो जिसमें,
सद्धर्म वही इस धरती पर, जो इसको स्वीकार करे।
सम्प्रत्यय लोक-कुशलता का, जो हरदम स्वीकार करे,
मानव को मानव समझे, हर प्राणी का उद्धार करे।
विज्ञान, मानवता, आध्यात्म, सदा समन्वित हो जिसमें,
सद्धर्म वही इस धरती पर, जो इसको स्वीकार करे।