मानव और मशीनें
रामू आज काफी परेशान हो गया था कि वो अपने परिवार का पालन कैसे करेगा, बरसों से वो जिस फैक्ट्री में काम करके अपना और अपने परिवार का जीवन यापन करते आ रहा है, आज उसी फैक्ट्री से उसकी छंटनी कर दी गई है, क्योंकि फैक्ट्री मालिक ने वहां पर आधुनिक मशीनें लगाई है जिसके कारण अब वहां ज्यादा मजदूरों की जरूरत नहीं पड़ेगी।
शाम को थका हारा रामू घर आया तो उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि वो अपनी पत्नी और बच्चों को कैसे बताए कि उसे काम से निकाल दिया गया है। उसके सामने अब अपने लिए नया काम खोजने की चुनौती थी जिससे वह अपने परिवार का पेट पाल सके।
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर तैयार हो कर रामू अपने घर से निकल गया और पहुंच गया नए काम की तलाश में। शाम तक वो कई जगह घुमा और दिन भर इधर उधर काम ढूंढने पर भी उसे अपने परिवार का पेट भरने लायक काम नहीं मिला।
रामू नया काम नहीं मिलने से काफी निराश और हताश होकर घर वापस लौटा था और उसी परेशानी में उसने आज रात खाना भी नहीं खाया, उसकी आंखों में छलक रहे आंसू सारी बात कह रहे थे कि वो कितना परेशान और दुखी था।
मशीनों के प्रचलन के कारण होने वाली अपने जैसे मजदूरों और उनके परिवार की दुर्दशा के बारे में सोचते हुए वो भूखे पेट ही सो गया था। सुबह नींद खुलने पर जब उसकी पत्नी ने देखा तो वह फांसी के फंदे पर झूल रहा था और इस बेदर्द दुनिया को छोड़कर चला गया था, उसके पत्नी और बच्चों का रो रोकर बुरा हाल था।
इसी तरह आजकल न जाने कितने ही मजदूर मशीनों के प्रचलन के कारण बेरोजगार हो गए और कितने ही इस हताशा में अपनी जान तक गंवा चुके हैं।
“मशीनों का प्रचलन गलत नहीं है किसी भी देश के विकास के लिए यह आवश्यक भी है। लेकिन उनके प्रयोग के कारण पैदा होने वाली बेरोजगारी की समस्या काफी सोचनीय है, इसलिए ऐसे रास्ते निकलने चाहिए जिससे देश की प्रगति के लिए मशीनों का प्रयोग भी हो और उससे मजदूरों के सामने बेरोजगारी की समस्या भी खड़ी न हो।”
✍️ मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, छत्तीसगढ़ मो.नं.9827597473