मानवीय संवेदना बनी रहे
वादा कर आराधना का
जग में आए सब प्राणी
भव सागर के जाल में
उलझ कर रहे मनमानी
हे प्रभु मुझको दीजिए
अपनी कृपा दिन, रात
हर पल सन्मति,सद्पंथ
की दीजै सुखद सौगात
मानवीय संवेदना बनी
रहे मानस में हर पल
आपके चरणों में लगा
रहे बुद्धि, विवेक, बल
लव स्टोरी इंपोसिबल
भले मानें सब मनुष्य
तव चरण कमल में ही
निहित है हमारा भविष्य
पग पग पे मिलते विविध
रूप धर कालनेमि अनेक
उनकी कुटिलता का आप
कर सकते समूल विच्छेद