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2 Sep 2021 · 1 min read

मानवीय कर्तव्य

डा. अरुण कुमार शास्त्री / एक अबोध बालक / अरुण अतृप्त

मानवीय कर्तव्य

इश्क और आशिकी को हमें अब मिलाना चाहिए
परचम मोहब्बत का आसमान में लहराना चाहिए //

सूख रहे हैं वन, उपवन और सभी ऐतिहासिक चमन
कोई फरमान तरतीब से मुल्क में लगाना चाहिए //

वो तुमसे खफ़ा है और हम से भी नाराज़ सा लगता है
दर्द उसका आगे बढ के हमें मामूल पर ले आना चाहिए //

चोट लगती है आपसी रिश्तों में तभी बगावत होती है
एहसास को अब समझदारी का वस्त्र पहनाना चाहिए //

उठ कर कोई मज्लूम मिरी महफिल से आखिर जाए क्युं
बात समझो तो वक्त रह्ते हमें उसको अपना लेना चाहिए //

तोड़ कर संकीर्णता की बेडीयाँ कुछ ही लोग निकल पाते हैं
बुला कर लाइए ऐसे लोंगों को हमें उनका सम्मान करना चाहिए //

इश्क और आशिकी को हमें अब मिलाना चाहिए
परचम मोहब्बत का आसमान में लहराना चाहिए //

सूख रहे हैं वन, उपवन और सभी ऐतिहासिक चमन
कोई फरमान तरतीब से मुल्क में लगाना चाहिए //

एक कोशिश ही तो है इस अबोध बालक की छोटी सी चमन में
आइए इस यज्ञ में हम सबको उसका हाँथ बटाना चाहिए //

1 Comment · 256 Views
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