मानवता
इंसानियत !
आज बस एक शब्द रह गया है।
हमारा समाज आज से नहीं बरसो पहले से एक लड़ाई लड़ रहा है। वह है जातिवाद और उच्च नीच की लड़ाई। धर्म की लड़ाई।
मेरा इस समाज से बस एक सवाल है….
की जब बनाने वाले ने भेद नहीं किया तो हमने क्यों।
आज से हजारों या लाखो साल पहले जब इंसान इंसान ना हो कर एक आदिमानव था। तब तो उसको नहीं मालूम था धर्म,जाति और उच्च नीच के विषय में। पर फिर इंसान ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और आदिमानव से मानव बन गया। पर कभी हम लोगो ने ये सोचा की आदिमानव से मानव बनने के सफ़र में यह धर्म, जाति कहा से आई।
…… यह अयी उस समय के कुछ बुधजीवियो से। उन्होंने अपने से कम ताकत और बुद्धि वाले इंसानों को अपने से कम और नीचा बना दिया। अपने को उचा धर्म और जाति वाला बना दिया।
यह प्रकृति सब को समान हवा, धूप, वर्षा, और वनस्पति देती है। तो हम कोन होते ये फर्क पैदा करने वाले।
आज हमारा समाज काफी हद तक एजुकेटेड हो गया है। तो हम इस को बदल सकते है। तो दोस्तो आगे आए और अपने समाज को बदले।
अब वक़्त आ गया है हम धर्म और जाति को छोड़ कर एक मानव बने एक इंसान बने।
Thanks