मानवता मर न पाएं ___ कविता
यह मरे चाहे वह मरे मरता तो इंसान रे।
दहशतगर्दी मचा रहे है तनिक शैतान रे।
हर देश को जख्म दिए आतंक के काले साए ने।
ढूंढ कोई तो ऐसा उपक्रम,नव युग के विज्ञान रे।।
मानवता मर न पाए,इंसानियत लोट के आए।।
बहुत बड़ी है दुनियां सारी,जन समूह का अंबार है।
किंचित दरिंदे कर रहे,निरीह जनो का संहार है।।
देश सारे ही मिलकर अब तो एक हो जाएं
मानवता मर न पाएं, इंसानियत लोट के आए।।
राजेश व्यास अनुनय