मानवता नीचे दबी
नही बढेगा शर्तियां,वहां अधिक फिर क्लेश !
झगडा घरका रह गया,घर मे जहाँ”रमेश” !!
मानवता नीचे दबी,…ऊँचे बने मकान!
दफन नींव में हो रहे,शहरी सीना तान।।
शुभचिंतक मेरे सभी,….. रहें हमेशा पास !
मन मंदिर में हर समय ,आकर करे निवास !
रमेश शर्मा.