मानवता दम तोड़ रही है, इसका कुछ उपचार लिखें।।
मानवता दम तोड़ रही है, इसका कुछ उपचार लिखें।।
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द्वेष घृणा मिट सके दिलों से, कुछ ऐसे अश्आर लिखें।
मानवता दम तोड़ रही है, इसका कुछ उपचार लिखें।।
सावन आया साथ तुम्हारी, यादों को भी ले आया।
याद तुम्हें भी आती हो तो, वापस खत में प्यार लिखें।
बीत गयी सो बात गयी जो, आनी है सो आयेगी।
वर्तमान को जी भर जी लें, जीवन के दिन चार लिखें।
मुखड़ों से मुस्कान छिन गयी, आंखों में अटके आंसू।
बाग उजाड़ गया कितने ही, कोरोना का वार लिखें।।
देख अकेली अबला को क्यों, नर पिशाच बन जाता है।
क्यों पशुवत होता जाता है, मानव का व्यवहार लिखें।।
कृष्ण राम के भक्त अगर हो, राम सरीखे बन जाओ।
आज प्रकट में रावण की ही, होती जय जयकार लिखें।
श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG – 69,
रामगंगा विहार,
मुरादाबाद।
04.07.2021