मानवता के रक्षक
सड़क किनारे
एक तिमंजिला
निमार्णाधीन मकान-
उसी से सटकर
सड़क की ओर
बांस-चटाई से बनी
छोटी सी झोपड़ी.
इसी में रह रहा है
तीन सदस्यीय
गरीब सुखी परिवार.
पति-पत्नी और
तीन वर्षीय एक बच्चा
पत्नी ठिगनी, सांवली, छरहरी
पति गोरा-ऊंचा पूरा
मतलब फुल परफेक्ट पर्सनालिटी.
दिनभर-
हाड़तोड़ मेहनत करते
सदैव हंसते-खिललाते
शायद ही होती है
कभी नोकझोंक
हां, ये केवल आत्मलीन ही नहीं
दुनिया की भी रखते खोज-खबर
इस छोटी सी झोपड़ी में है
एक छोटी कलर टीवी
छोटा-सा एक एफएम रेडियो.
गत तीन वर्ष की
ठंड-गर्म-बरसात में
इस परिवार को-
ऐसे ही देख रहा हूं
अंतर सिर्फ यही
बच्चा पहले गोद में रहता था
या गोदड़ी-बिछावन में लेटा रहता
अब चलता है-फिरता है
कुत्ते के पिल्ले के संग खेलता है
गजब जिजीविषा है
छोटी-छोटी खुशियों को
बांहों से समेटता
पलकों में सजाता
जीवन को दीप्तिमान
बनाता यह परिवार.
ऐसे ही लोग
उन्नति के वाहक
मानवता के रक्षक
सौंदर्य के सर्जक हैं
ऐसे महामानवों को
कोटिश: प्रणाम.
-21 जनवरी 2013, सोमवार
सायं 3 बजे