मानवता की दुश्मन देश द्रोही तब्लीगी जमात
कोरोना का देखिये, बढ़ा हुआ है ग्राफ।
तब्लीगी अपराध यह, कैसे होगा माफ।।
कोरोना से पॉजिटिव, जम के हुई जमात।
मौलाना यूं दे रहे, कोरोना खैरात।।
मुस्लिम-हिन्दू कर रहे, मौलाना बेशर्म।।
कोरोना बम बन रहे, कैसे इनके कर्म।।
हो सकता हमको नहीं, कर-कर ऐसी बात।
कोरोना बम खुद बनी, होती खतम जमात।।
नीची हरकत कर गई, यह तबलीग जमात।
शर्मसार ऐसे हुई, मुसलमान की जात।।
आतंकी हरकत हुई, देश द्रोह का काम।
तब्लीगी के पक्षधर, कहते यह इस्लाम।।
तबलीगी हैं चल रहे, आतंकी की लीक।
फिर भी इनके रहनुमा, ठहराते हैं ठीक।।
नहीं सामने आ रही, छुप क्यों गई जमात।
खुद से भी है कर रही, और देश से घात।।
मरने खुद तैयार हैं, रहे देश को मार।
ये कैसे इंसान हैं, है इनको धिक्कार।।
कट्टर बन भटकी हुई, अंधी हुई जमात।
क्या कुरान में है लिखा, करते ये दिन-रात।।
मस्जिद में सजदा किये, आयत पढ़ी कुरान।
सड़क शहर क्या कर रहे, दिल्ली बनी वुहान।।
पत्थर बाजी कर रहे, कथित शांति के दूत।
रहें जहां हो गंदगी, देते हैं हग-मूत।।
©कौशल®
कौशलेंद्र सिंह लोधी ‘कौशल’